परमानंदको भाव, ध = धरापर बिखरती । नि = निरंतर जीभ तोरी, सा = साक्षातच सरस्वती परमानंदको भाव, ध = धरापर बिखरती । नि = निरंतर जीभ तोरी, सा = साक्षात...
सुन सको तो सुन जाओ सूरों से सूर मिला जाओ। सुन सको तो सुन जाओ सूरों से सूर मिला जाओ।
मेरी अपनी सल्तनत मेरा अपना राज अकेली मैं सम्राज्ञी, पूरी करूँ मन की प्यास, मेरी अपनी सल्तनत मेरा अपना राज अकेली मैं सम्राज्ञी, पूरी करूँ मन की प्यास,
भारत रत्न से सम्मानित भारत की थी शान , दीदी आप हो हमारे अभिमान, भारत रत्न से सम्मानित भारत की थी शान , दीदी आप हो हमारे अभिमान,
तो हँसकर बोले वो तो भारत रत्न लता है। तो हँसकर बोले वो तो भारत रत्न लता है।
वन उपवन में ढूंढकर तुझको, चैन न आवे रात दिन मुझको, वन उपवन में ढूंढकर तुझको, चैन न आवे रात दिन मुझको,